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ताप्ती नदी उद्गम स्थल – मुलताई (बैतूल, मध्य प्रदेश) - कपिल कुमार © Travel With Kapil Kumar

  • Writer: Ghumakkad Kapil Kumar
    Ghumakkad Kapil Kumar
  • Feb 19, 2021
  • 3 min read

Tapti River Birth Place - Multai (Betul, MP)

“हुजूर आपका भी एहतराम करता चलूँ,

इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूँ।”

प्रसिद्ध गज़ल गायक जगजीत सिंह की गाई एक गज़ल का शेर है ये। ऐसा ही अपना घुमक्कड़ी मिजाज़ है कि जिधर से गुज़रो उधर के अपने जान पहचान वाले लोगों से मिलते चलो और रास्ते की घुमने वाली जगहों पर रुककर घूमते फिरते चलो। ऐसे ही अपने काम से नागपुर जाते हुए रास्ते में नेशनल हाईवे 47 पर मुलताई शहर में ताप्ती नदी के उद्गम स्थल पर रूककर ताप्ती मंदिर और उद्गम स्थल घूमना हुआ।


Tapti Temple

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले का एक नगर है मुलताई जहाँ से निकलती है ताप्ती नदी, जो कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात को प्रकृति का दिया हुआ एक उपहार है।इस स्थान का मूल नाम मूलतापी है जिसका अर्थ है तापी का मूल या तापी माता। ताप्ती पश्चिमी भारत की प्रसिद्ध नदी है। यह सतपुड़ा पर्वतप्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं सूरत के मैदान को पार करती और अरब सागर में गिरती है। यह नर्मदा नदी और माही नदी की तरह भारत की उन मुख्य नदियों में है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती है।यह नदी लगभग 740 किलोमीटर की दूरी तक बहती है और खम्बात की खाड़ी में जाकर मिलती है। सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है। यह नदी सूरत के डुमस क्षेत्र में समुद्र में मिलती है।ताप्ती नदी अपने उत्तर में बहने वाली अपेक्षाकृत लंबी नर्मदा नदी के लगभग समानांतर बहती है, जिससे यह मुख्य सतपुड़ा श्रेणी द्वारा विभाजित होती है।

पौराणिक हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ताप्ती को सूर्य एवं उनकी एक पत्नी छाया की पुत्री माना जाता है और ये शनि की बहन है।ताप्ती नदी के मूलस्थानमुल्तापी में एवं उसके सीमावर्ती क्षेत्र में सात कुण्ड अलग - अलग नामों से बने हुए हैं और उनके बारे में विभिन्न धार्मिक कहानियां प्रचलित है।

सूर्यकुण्ड

यहां भगवान सूर्य ने स्वयं स्नान किया था।

ताप्ती कुण्ड

सूर्य के तेज प्रकोप से पशु पक्षी नर किन्नर देव दानव आदि की रक्षा करने हेतु ताप्ती माता की पसीने के तीन बूंदें के रूप में आकाश धरती और फ़िर पाताल पहुंची। तभी एक बूंद इस कुण्ड में पहुंची और बहती हुई आगे नदी रूप बन गई।

धर्म कुण्ड

यहां यमराज या धर्मराज ने स्वयं स्नान किया जिस कारण से यह धर्म कुण्ड कहलाता है।

पाप कुण्ड

पाप कुण्ड में सच्चे मन से पापी व्यक्ति सूर्यपुत्री का ध्यान करके स्नान करता है तो उसके पाप यहां पर धुल जाते है।

नारद कुण्ड

यहां पर देवर्षि नारद ने श्राप रूप में हुए कोढ के रोग से मुक्ति पाई थी एवं बारह वर्षो तक मां ताप्ती की तपस्या करके उनसे वर मांगा था। उसी से उन्हें पुराण की चोरी के कारण कोढ़ के श्राप से मुक्ति मिल पाई।

शनि कुण्ड

शनिदेव अपनी बहन ताप्ती के घर पर आने पर इसी कुण्ड में स्नान करने के बाद उनसे मिलने गए थे। इस कुण्ड में स्नान करके मनुष्य को शनिदशा से लाभ मिलता है।

नागा बाबा कुण्ड

यह नागा सम्प्रदाय के नागा बाबाओं का कुण्ड है जिन्होने यहां के तट पर कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था। इस कुण्ड के पास सफेद जनेउ धारी शिवलिंग भी है।

स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में मुलताई और बैतूल भी मध्य भारत के प्रमुख केंद्र रह चुके है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृति में ताप्ती उद्गम स्थल घाट पर ही एक स्तम्भ स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 को स्थापित किया गया था।


नदी, झरने, पहाड़, जंगल आदि हमें प्रकृति से मिले ऐसे अनुपम उपहार है जो हमें जीवन धारा देते है, इन्हें इनके प्राकृतिक रूप में रहने देने के हमें हरसंभव प्रयास करने चाहिए।





- कपिल कुमार

13 मार्च 2020

कुछ सूचनाओं का स्त्रोत -

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Kapil Kumar

I am a Fashion Design Educator & Skill Development Consultant in Fashion Industry by Profession and Traveler, Writer by Passion. I visits many places, meet peoples, taste local food and write my experiences on this site. I also write my experiences, poetry, articles and travelogues.

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(Kapil Kumar Madhukar)

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